DAVV BA Third Year सांख्यिकी (Statistics) Notes इकाई-पंचम UNIT-FIFTH Chapter : 15 अनुसंधान(Investigation)



15

दीर्घउत्तरीय प्रश्न (Long Answer Type Questions)



प्रश्न 169. अनुसंधान की परिभाषा दीजिए तथा इसके प्रकार बतलाइए।

1.

Give the definition of Investigation and describe its types. अथवा

शोध की अवधारणा तथा इसके प्रकार बतलाइए ।

Describe the concept of research and its types.

अथवा

शोध की परिभाषा दीजिए तथा शोध पद्धति के प्रकार बतलाइए । Give the definition of research and describe the types of research methodology.

अनुसन्धान / शोध की अवधारणा एवं परिभाषा

उत्तरame

(Concept and Definition of Investigation/ Research)

शोध का अर्थ है ‘ज्ञान की खोज’ (a search of knowledge) । समस्या चाहे अर्थशास्त्र की हो, चाहे समाजशास्त्र की हो अथवा राजनीति आदि की हो, के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए शोध करना वर्तमान जीवन का अभिन्न अंग बन चुका है पद्धति या क्रिया-पद्धति या प्रविधि से तात्पर्य उस प्रणाली से है जिसको अध्ययन की जाने वाली समस्या के सम्बन्ध में तथ्ययुक्त ( factual) निष्कर्ष निकालने के लिए प्रयुक्त किया जाता है ।190 / gymra: alfierat ( sit. q, yara ani)

* * * * at an atqun weet & fog a , – (Research Methodology). pàgon ze

दूसरे शब्दों में एक शोधकर्ताद्वारा निश्चित उद्देश्य/उद्देश्यों के लिए किसी समस्या 1

(J. W. Best), fra fata siftesmedte, na (Investiga

qa, at, teran

(L. V. Redman and Others) à feran & प्त करने के लिए व्यवस्थित प्रयास किया जाता है तो उसे अनुसन्धान

(Investigation)

fe (Research). (Investiga tion) #1 * 25 * 1. ve à dire safe (from whern, zm, fodern) go wra femès p for at ga vibe sa ati

शोध/शोध पद्धति के प्रकार

(Types of Research/Research Methodology) 1. fafère vi

(General Research and Specific Research)

(D)

(General Research)

mpire fart fra) sad sm (D) fufyu (Specific or Particular Research)-f we wtf feed yu ffer à appar, she can meet ai fényeffe z s spate thefee (Historical Method), (Logic Method) von geres af (Comparative Method) (Case Study Method) fre paket

2. ध और यर (Pure or Fundamental Research and Applied Research)

(1) shoes you (Fundamental Research)-rota ap free à man à des faget = f (investigation) f

(0) de * The Applied Research)-fts the d e à pàgale are seen the far fo


3. निष्कर्ष ओरिएण्टिड एवं निर्णय रण्ड शोध

(Conclusion-oriented and Decision-oriented research)

(1) निष्कर्ष रिटड (Conclusion Onentedकिसी समस्या का चुनाव करने के लिए स्वतन्त्र होता है। इस प्रायः क्रियात्मक शोध (action research) भी कहा जाता है।

(ii) निर्णय ओरिएण्टड (Decision-oriented)-पह cision maker) के लिए की जाती है

प्रश्न 100. वैज्ञानिक पद्धति की परिभाषा दीजिए। इसके प्रमुख आयु अध्ययन प्रणाली के तरीके तथा विशेषताएँ बनाए।

Give the definition of scientific method. Describe main stages, ways of modern scientific method and characteriation

वैज्ञानिक पद्धति

(Scientific Method)

बाउलेस के अनुसार, “वैज्ञानिक पद्धति सामान्य नियमों की खोज के श्री प्राप्ति हेतु प्रविधियों की एक व्यवस्था है, जो कि विभिन्न विज्ञान में कई से

वैज्ञानिक पद्धति के मुख्य चरण (Main Stages/Steps of Scientific Method) ब्रेस्टने वैज्ञानिक पद्धति के निम्नलिखित है(A) (1) पर्यवेक्षण (Observation); वर्णन (Description); (3) मापन (Measurement); (4) स्वीकृति या अस्वीकृति (Acceptane or Non(5) आगमनात्मक सामान्यीकरण (Inductive Generallantiseme), (7)मक पुस्तकरण (Logical Deductive Reasoning (9) संशोधन (Correction). (10) पूर्वकथन (Prediction); (1) काराम (Selection of the Problem) अध्ययन के उद्देश्यों का (Determination of Objects of


(Formulation o Hypothesis);

Arve and Unit of Study); कान(Seleetin of Methods of Study and Study-tools); अवलोकन एवं तथ्यों का संकलन (Observation and Collection of (7)/मकी का वर्गीकरण विश्लेषण एवं व्याख्या (Classification, Analysis and Interpretation of Data); सामान्यीकरण (Generalization); (9) जांच या पुन: परीक्षण (Test or Verification); (10) (Prediction) |

आधुनिक वैज्ञानिक अध्ययन प्रणाली के तरीके

(Ways of Modern Scientific Method) आधुनिक युग में शोध के लिए अपनाये जाने वाले तरीके निम्न प्रकार (1) सर्वेक्षण प्रणाली (Survey Method) (2) केस प्रणाली (Case Method) (3) प्रश्नावली प्रणाली (Questionnaire Method); (4) साक्षात्कार प्रणाली (Interview Method); (5) जनमत (Public Opinion Poll); (6) साखियकीय प्रणाली या अंकशास्त्रीय प्रणाली (Statistical Method) :

वैज्ञानिक पद्धति की विशेषताएँ

(Characteristics of Scientific Method)

वैज्ञानिक पद्धति की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित है

(1) वैज्ञानिक पद्धति ज्ञान का आधार है (Scientific Method is the Basis of Knowledge)-भूर्त और अमूर्त सामाजिक तथ्यों के अध्ययन के लिए समाज-विज्ञानी वैज्ञानिकों का प्रयोग करते हैं। उदाहरण के रूप में ज्ञान प्राप्त करने या करने हेतु समाजमिति (Sociometry), अवलोकन पद्धति, अनुसूची अथवा प्रश्नावली पद्धति सामाजिक सर्वेक्षण पद्धति, वैयक्तिक जीवन अध्ययन पद्धति, सांख्यिकीय पद्धति सत्कारपद्धति ऐतिहासिक पद्धति आदि का प्रयोग किया जाता है।

(2) अवलोकन द्वारा तथ्यों को एकत्रित किया जाता है (Data is Collected by Observation)– वैज्ञानिक पद्धति के अन्तर्गत तथ्यों के संकलन हेतु अनुसन्धानकर्ता निरीक्षण और अवलोकन करता है। इसमें काल्पनिक या दार्शनिक विचारों को कोई स्थान नहीं दिया जाता इसमें अध्ययनक स्वयं घटनास्थल पर पहुंचकर घटनाओं का कान करता है। यदि समाजवैज्ञानिक को बाल अपराध का अध्ययन करना है या व्यवहार के सम्बन्ध में और की जानकारी प्राप्त करनी है तो यह इनसे सम्बन्धित को स्वयंघटनाओं का अवलोकर करते हुए करेगा।


fied and Analysed)- असम्बद्ध या बिखरे हुए या इसके पश्चात् तथ्यों का सावधानीपूर्वक किया जाता है। किसी भी विज्ञान मानने का प्रमुख कारण यह है कि उसमें सही निष्कर्षों तक पहुंचने के लिए 1

(4) क्या है’ का उल्लेख किया जाता है Mentions wh पर विचार नहीं करता कि क्या अच्छा है और क्या बुरा क्या नहीं होना चाहिए। वह तो घटनाओं या तथ्यों का चित्रण में है उनका ठीक वैसा हो चित्रण करता है, क्या है’ का ही उल्लेख करत

कार्य करण सम्बन्धों की विवेचना की जाती है (Cause Effe (5) tions are Discussed)- वैज्ञानिक पद्धति के अन्तर्गत घटनाओं समस्याओं के कार्य करण सम्बन्धों को जानने का प्रयत्न किया जा घटना या समस्या के पीछे छिपे कारणों की खोज करता है भी घटना जादुई चमत्कार से घटित नहीं होकर कुछ विशिष्ट कारणों से होते है जिनका पता लगाना वैज्ञानिक का दायित्व है।

(6) सिद्धान्तों की स्थापना की जाती है (Theories are Established वैज्ञानिक पद्धति की सहायता से कार्य करण सम्बन्धों की विवेचना की जाती है, घटनाओं के पारस्परिक सम्बन्ध ज्ञात किये जाते हैं, वर्गीकरण या विश्लेषण किया जाता है और तत्पश्चात् सामान्य निष्कर्ष निकाले जाते हैं। इस निष्कर्षों के आधार पर हो या वैज्ञानिक नियम बनाये जाते है

(7) सिद्धान्तों की पुन: परीक्षा सम्भव है (Re-testing of the Theories is Possible)–समाज विज्ञान भी भौतिकशास्त्र या रसायनशास्त्र के समान अपने या नियमों की परीक्षा एवं पुन: परीक्षा करने में सक्षम है। इनमें वैज्ञद्धतिको से तथ्य एकत्रित किये जाते हैं और इस पद्धति से प्राप्त तथ्यों को प्रमुख विशेषता है कि इनकी प्रामाणिकता की जांच की जा सकती है। समाज-विज्ञान में

(8) सिद्धान्त सार्वभौमिक हैं (Theories are Universal वैज्ञानिक पद्धति को काम में लेते हुए जिन सिद्धान्तों का प्रतिपादन करते हैं, वे प्रकृति के होते हैं। इसका तात्पर्य यह है कि यदि पर रहे थे में विकसित सिद्धान्त विभिन्न समाओं और कालों में खरे हते हैं।

(9) भविष्यवाणी करने की क्षमता (Ability to Preditकारण विज्ञान मात्रा जाता है कि यह क्या है के आपने करने में समर्थ है अन्य शब्दों भण्डार के आधार पर की ओर करने की को ये अयोध मे


[] [/ (Social Lovestigation) wrt ti f me as ê, wife p an që refus figné sé qurbe é mé ? – MEN E VÔÉT

và sử hypotheviaỬ VÀ HÀNH VI VÀ cafe (Reasoning) à c


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Mental Dine)

4.


196 / यशराज : सांख्यिकी (बी. ए. तृतीय वर्ष )

10. सिद्धान्त तथा पद्धतियों में नवीन सामाजिक नियमों की खोज, पुराने सिद्धान्त तथा विधियों को पुन: परीक्षा, सामाजिक जीवन में अन्तर्निहित सामान्य नियम व प्रक्रियाएँ तथा नवीन पद्धतियों व प्रविधियों (techniques) की खोज आदि

सामाजिक शोध की उपयोगिता या महत्व

(Utility or Importance of Social Research)

सामाजिक शोध के सैद्धान्तिक तथा व्यावहारिक महत्व या उसकी उपयोगिताएँ निम्न

1. सामाजिक शोध विभिन्न सामाजिक घटनाओं के सम्बन्ध में वैज्ञानिक ज्ञान प्रदान कर उन घटनाओं के सम्बन्ध में हमारी अज्ञानता का नाश (removal of ignorance) करती है ।

अ. 3. सामाजिक शोध समाज कल्याण में सहायक (helial in social welfare) है। सामाजिक जीवन में अच्छाई के लिए परिवर्तन (change for good) अर्थात् सामाजिक प्रगति में सहायक (helptul in social progress) है।

सामाजिक शोध से प्राप्त ज्ञान सामाजिक 4. में भी सहायक (helpfiul in social control) सिद्ध होता है ।

5. यह सामाजिक विज्ञान की उन्नति में सहायक (helpfal in the devlopment of social sciences) होता है।

6. इसको सैद्धानिक उपयोगिता (theoretical utility) भी है, क्योंकि यह सामाजिक दवाओं का विश्लेषण करता है, सामाजिक जीवन को भ गतिविधियों के सम्बन्ध में सूचित करता है, आदि ।

शोध पद्धति के प्रत्येक चरण की संक्षिप्त विवेचना कीजिए | Brief discussion of each steps of research methodology. शोध एक व्यापक प्रक्रिया है जिसे अनेक चरणों (अवस्थाओं) से गुजरना होता

प्रत्येक चरण की संक्षिप्त विवेचना

(Brief Discussion of Each Step)

1. समस्या का अभिकलन (ldentification of the Problem)- सबसे पहले 2. साहित्य का प्रारम्भिक सर्वेक्षण (Survey of Literature)-समस्या को के बाद उस विषय से सम्बद्ध साहित्य (पुसके अन्य शोधकर्ताओं के विका

3. परिकल्पना का निर्माण (Formulation of Hypothesis)– शोध काउ साताअनुमान को करना या नये सिद्धान्त की खोज करना आदि के लिए

4. अध्ययन-क्षेत्र का निर्धारण (Determination of Supe of Stud


अनुसंधान / 197

व शक्ति का दुरुपयोग न हो या गलत परिणाम पर न पहुंचे। प्रत्येक शोध के लिए विशेष प्रकार का क्षेत्र चुना जाता है

(i) राजनीतिक या प्रशासनिक विभाग (Political or Administrative Division) (ii) आर्थिक विभाग ( Economic Division) (iii) प्राकृतिक विभाग (Natural Division)

शोध-क्षेत्र का निर्धारण मूलतः शोध-विषय की प्रकृति पर निर्भर करता है। शोधक्षेत्र के निर्धारण का तात्पर्य यही है कि शोध कार्य प्रारम्भ करने से पहले शोधकर्ता को अपने अध्ययन क्षेत्र की सीमाओं-भौगोलिक, जनसंख्यात्मक तथा अन्य आधार पर निर्मित का निर्धारण कर लेना चाहिए। अध्ययन क्षेत्र न तो अधिक छोटा और न अधिक बड़ा होना चाहिए |

5. शोध योजना का प्रारूप (अभिकथन) (Design of Research Project) – शोध के उद्देश्य को देखते हुए शोध. (i) केवल ज्ञान प्राप्ति के लिए, (ii) किसी जिज्ञासा को शांत करने के लिए. (iii) आर्थिक स्थिति जानने के लिए. (iv) परिकल्पनाओं के निर्माण के लिए. (v) परिकल्पनाओं की सत्यता की जांच के लिए, (vi) शोध राज्य के लिए, (vii) स्थानीय संस्थाओं के लिए, (vii) अन्य संस्थाओं के लिए. (ix) स्वयं के लिए आदि प्रकार

6. शोध समय एवं बजट पर विचार करना (To Consider Time and Bud500)- शोध कार्य किस समय प्रारम्भ करना है? कितने समय में पूरा करना है ? समय के बारे में दो महत्वपूर्ण बातें ध्यान में रखी जानी चाहिए(i) समय कम-से-कम लगे.

(ii) समय सामान्य (साधारण) हो । धन के विषय में भी विचार करना आवश्यक है।

7. शोध से सम्बन्धित सूचना समंक प्राप्ति के स्त्रोतों पर निर्णय करना (Determination of Sources of Data Relevant to the Research) के लिए आवश्यक तथ्य एकत्र करने के लिए स्रोत निश्चित करने होते हैं।

(i) आन्तरिक अथवा बाह्य- जो समक संगठन के आन्तरिक या प्रशासनिक अभिलेखो (Administrative Records) से प्राप्त होते हैं तथा जिनका सम्बन्ध उस संगठन की कार्य प्रणा से होता है, उनका स्रोत आन्तरिक (Internal) होता है। जिन समको को अन्य संगठनो अथवा सोतों से लिया जाता है, उनका स्रोत बाह्य (external)

(ii) प्राथमिक अथवा तक स्रोत-जिन सोतों से प्रथम बार समंक प्राप्त किये जाते हैं उन्हें प्राथमिक स्रोत (Primary source) कहते हैं। जिन स्रोतों से पहले से उपलब्ध समक प्राप्त किये जाते हैं द्वितीय स्त्रोत (Secondary Source) कहलाते हैं।

8. उपकरणों व पविधियों का निर्धारण (Determination of Tools and Techniques)- सूचना के सोतों का निर्धारण होने पर उनके अध्ययन के लिए उपकरणों व प्रविधियों का चुनाव किया जाता है। अर्थात् सूचना के स्रोतों के विषय में सोच लेने पर शोध-क्षेत्र की प्रकृति के अनुसार उन पद्धतियों का भी चुनाव करना होता है जो कि शोध कार्य में उपयोगी हो।


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9. संगणना और निदर्शन विधियाँ (Census and Sampling Methods) अथवा तथ्यों का अवलोकन एवं संकलन / प्रश्नावली व अनुसूची का निर्माण (Observation and Collection of Data/Construction of Questionnaire and Schedule)–समंकों का संकलन (i) सम्पूर्ण क्षेत्र में किया जाना है, या (ii) कुछ इकाइयों का न्यादर्श लेकर न्यादर्श कर ही अध्ययन करना है, यह भी निश्चित किया जाता है ।

शोध कार्य योजना तैयार हो जाने के बाद क्षेत्रीय कार्य (Field-work) प्रारम्भ होता है । तथ्य संकलन हेतु अवलोकन तथा अध्ययन के अन्य उपकरणों एवं प्रविधियों का सहारा लिया जाता है ।

आधुनिक युग में समाज विज्ञानों के अध्ययन के लिए नए-नए तरीकों को अपनाया जाता है। इनमें प्रमुख हैं

(i) सर्वेक्षण प्रणाली ( The Survey Method) – इसके अन्तर्गत किसी क्षेत्र के निवासियों के बारे में अध्ययन से सम्बन्धित विषय पर तथ्यों का संग्रह किया जाता है तथा उनसे निष्कर्ष निकाला जाता है ।

(ii) केस अध्ययन प्रणाली ( The Case Study Method) — इसके अन्तर्गत प्रत्येक का विस्तृत और गहरा अध्ययन किया जाता है, परन्तु इसका क्षेत्र सीमित होता ह। (iii) प्रश्नावली प्रणाली ( The Questionnair Method) — इसके अन्तर्गत कुछ प्रश्नों के उत्तर प्राप्त किए जाते हैं और इनके आधार पर निष्कर्ष निकाले जाते हैं। (iv) साक्षात्कार प्रणाली (The Interview Method) – इसके अन्तर्गत सम्बन्धित व्यक्तियों का साक्षात्कार लिया जाता है ।

(v) जनमत मतदान (Public Opinion Poll) — इसके अन्तर्गत किसी समस्या पर जनता के विश्वासों, भावनाओं तथा दृष्टिकोण का अध्ययन किया जाता है ।

10. सांख्यिकी इकाई, मापन की इकाई तथा परिशुद्धता का परिणाम निश्चित करना (Determination of Statistical Unit, Measurment Unit and Ac curacy) – इस चरण में शोध से सम्बन्धित इकाइयों का निर्धारण और उन इकाइयों को स्पष्टत: परिभाषित किया जाता है। परिणामों की शुद्धता भी निश्चित करनी होती है। मापन की इकाई के लिए पैमाने का निर्धारण भी पहले से ही कर लेना चाहिए |

11. तथ्यों का सम्पादन, संकेतन, वर्गीकरण एवं सारणीयन (Editing, Coding, Classification and Tabulation) – तथ्यों के संकलन के बाद सर्वप्रथम शोधकर्त्ता तथ्यों का सम्पादन करता है। इस स्तर पर अनावश्यक सूचनाओं को निकाल दिया जाता है तथा शेष सूचनाओं की कमियों व असंगति दूर करके अनावश्यक सूचनाओं को निकाल दिया जाता है तथा शेष सूचनाओं की कमियों व असंगति दूर करके उनको स्पष्टता प्रदान को जाती है। विभिन्न तथ्यों को संकेतों, प्रतीकों व संख्याओं की सहायता से व्यवस्थित बनाया जाता है। इसी प्रक्रिया को संकेतन कहा जाता है। इसके बाद शोध के उद्देश्यों के आधार पर तथ्यों ( संख्यात्मक व गुणात्मक दोनों) को विभिन्न वर्गों में वर्गीकृत किया जाता है। तथ्यों का वर्गों में विभाजन तथा वर्ग- निर्माण की प्रक्रिया वर्गीकरण के नाम से जानी जाती है | वर्गीकृत तथ्यों को अधिक अर्थपूर्ण एवं स्पष्ट तथा संक्षिप्त रूप प्रदान करने के लिए सारणियों में रखा जाता है। इस प्रक्रिया को सारणीयन कहते हैं ।

12. तथ्यों का विश्लेषण एवं विवेचन (Analysis and Interpretation of Data) – इस चरण में, विभिन्न प्रविधियों की सहायता से प्राप्त समंकों का विश्लेषण एवं


अनुसंधान / 199

परिणाम विवेचन किया जाता है। इस बात की विवेचना की जाती है कि किसी विशेष दशा, अथवा घटना के लिए कोनसे कारक उत्तरदायी हैं ?

13. परिकल्पना का परीक्षण (Testing of Hypothesis) – विश्लेषण एवं विवेचन के बाद प्रारम्भ में निर्माण की गई परिकल्पना की सत्यता-असत्यता का पता लगाया जाता है। 14. शोध का संगठन (Organisation of Research) – शोध के संगठन का तात्पर्य है प्रपत्रों की रचना, प्रगणकों का चुनाव, प्रशिक्षण, उनका प्रशासन व नियंत्रण, धन राशि के आय-व्यय का लेखा आदि से है ।

15. सामान्यीकरण एवं नियमों का प्रतिपादन (Generalization and Derivation of Laws)—शोध पद्धति का यह चरण सर्वाधिक महत्वपूर्ण है। यहाँ तथ्यों के विश्लेषण एवं विवेचन के आधार पर वैज्ञानिक निष्कर्ष निकाले जाते हैं जो अतिसंक्षिप्त होते हैं ।

16. प्रतिवेदन तैयार करना- परिणाम लिखना (Preparation of Report : Writing Down the Results) – शोध के अन्तिम चरण के रूप में शोधकर्त्ता प्रतिवेदन प्रस्तुत करता है। इस प्रतिवेदन के प्रथम भाग में शोध हेतु अपनाई गयी अध्ययन पद्धतियों का उल्लेख किया जाता है और अवधारणाओं को स्पष्टतः समझाया जाता है। दूसरे भाग में अध्ययन-विषय में सम्बन्धित विभिन्न तथ्यों को प्रस्तुत किया जाता है। तीसरे भाग में सामान्य निष्कर्ष लिखे जाते हैं और नियमों का प्रतिपादन किया जाता है। इस प्रक्रिया को सामान्यीकरण या सैद्धान्तीकरण कहते हैं ।

प्रश्न 173. सामाजिक विज्ञान में अनुसंधान की समस्याएँ बतलाइए । Describe the problems in reserach in social sciences.

उत्तर- सामाजिक विज्ञान में अनुसंधान की समस्याएँ निम्नलिखित हैं

1. सामाजिक घटनाओं की जटिलता (The Complexity of Social Phenomena)—मानव समूह या समाज पर आन्तरिक और बाहरी रूप में अनेक शक्तियाँ कार्य करती रहती हैं। मानव समूह भूत की स्मृतियों तथा भविष्य की आकांक्षाओं, अपने सदस्यों की भौतिक आवश्यकताओं और अभौतिक सन्तुष्टियों के सम्बन्ध में अपने सदस्यों को इच्छाओं से प्रभावित होता रहता है । घटनाओं और विचारों में जो पारस्परिक क्रियाप्रतिक्रिया होती रहती है वह भी एक जटिलता उत्पन्न कर देती है ।

2. माप की समस्या (Problem of Measurement) – सामाजिक विज्ञानों में नितान्त सही और अचूक मापदण्डों का अत्यन्त अभाव है। अस्पष्ट तथा अप्रमाणिक इकाइयों के फलस्वरूप व्यर्थ की सामग्री का संकलन हो जाता है ।

3. पूर्वाग्रह (Bais) या वस्तुनिष्ठता का अभाव (Lack of Objectivity)सामाजिक शोधकर्त्ता स्वयं मनुष्य है और उसे मनुष्यों के विषय में ही अध्ययन करना होता है। अतः पक्षपात, मिथ्या सुझाव आदि का अध्ययन कार्य में प्रवेश व हस्तक्षेप हो सकता है। सामाजिक शोध के अध्ययन में वस्तुपरक दृष्टिकोण का अभाव है। तटस्थ व पक्षपात रहित निरीक्षण द्वारा तथ्यों का उनके वास्तविक रूप में संकलन व विश्लेषण ही वस्तुनिष्ठता हैं। मानवीय भावनाएँ, विचार, आदर्श, मूल्य, प्रथा, परम्पराएँ, पक्षपात, प्रेम, स्नेह, ईर्ष्या आदि व्यक्तिगत (Subjective) तथा अमूर्त (intangible) हैं। इस अमूर्तता का परिणाम


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यह होता है कि सामाजिक घटनाओं का कोई निश्चित वस्तुनिष्ठ (Objective) स्वरूप नहीं हो पाता ।

4. समरूपता का अभाव (Lack of Homogeneity)- समाज में समानताएँ और विभिन्नताएँ दोनों ही निहित हैं। विभिन्न समूह किसान, मजदूर, शिक्षक, वकील आदि के कुछ विचारों व प्राथमिकताओं में समानता नहीं पाई जाती हैं ।

5. भविष्यवाणी (Predictability) – सामाजिक घटनाओं की प्रकृति हो कुछ इस प्रकार की होती है कि इनके सम्बन्ध में भविष्यवाणी करना सम्भव नहीं होता। किसी शोध का निष्कर्ष प्रायः भविष्य पर लागू नहीं होता। इस प्रकार की भविष्यवाणी में ‘शायद’ का तत्व सदैव ही विद्यमान रहता है ।

Type Questions) प्रश्न 174. वैज्ञानिक पद्धति की मुख्य विशेषताएँ लिखिए । Write main characteristics of scientific method. उत्तर- वैज्ञानिक पद्धति की पाँच मुख्य विशेषताएँ हैं(1) सत्यापनीयता (Verifibability) (2) निश्चयात्मकता (Definiteness) (3) वस्तुनिष्ठता (Objectivity) (4) सामान्यता (Generality) (5) पूर्वकथनीयता ( Predictability)। प्रश्न 175. आर्थिक शोध का अर्थ लिखिए। Write the meaning of Economic Research. उत्तर- आर्थिक शोध का अर्थ है- आर्थिक जीवन में विभिन्न सामाजिक स्तरों वाले व्यक्तियों के आय-व्यय की जानकारी प्राप्त करना, औद्योगिक, सर्वेक्षण, प्रगति, बाजार माँग और आपूर्ति के सिद्धान्त, एकाधिकार आदि का व्यवस्थित अर्थशास्त्र के नियमों तथा सिद्धान्तों की सत्यता की परख, सरकार की आर्थिक नीतियों योजनाओं के दूरगामी प्रभाव व परिणाम का अध्ययन करना, औद्योगिक समंकों की करना आदि ।

लघु उत्तरीय प्रश्न ( Short Answer

पर रहने आर्थिक अध्ययन तथा व्यवस्था

प्रश्न 176. समाज – आर्थिक शोध क्या है ? What is socio-economic research ?

अथवा

आर्थिक-सामाजिक शोध की परिभाषा दीजिए।

उत्तर- किसी सामाजिक समस्या के साथ-साथ व्यक्तियों की आय-व्यय आदि की जानकारी प्राप्त करना समाज – आर्थिक शोध कहा जा सकता है। सरल शब्दों में, सामाजिक शोध और आर्थिक शोध के सम्मिलन का नाम ही समाज – आर्थिक शोध है। परिवारों का आर्थिक स्तर ज्ञात करने के लिए भी यह शोध किया जाता है। दूसरे शब्दों में, आर्थिक एवं सामाजिक विषयों जैसे-उपयोग, मूल्य, मजदूरी, आय, जनसंख्या आदि के सम्बन्ध में शोध करना ही आर्थिक-सामाजिक शोध कहा जाता है ।

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