DAVV BA Third Year सांख्यिकी (Statistics) Notes इकाई-पंचम UNIT-FIFTH Chapter : 16 परिकल्पना (Hypothesis)



दीर्घउत्तरीय प्रश्न (Long Answer Type Questions)

प्रश्न 177. परिकल्पना की परिभाषा दीजिए। परिकल्पना की विशेषताएँ, महत्व तथा

प्रकार बतलाइए।

Give the definition of hypothesis. Discribe the characteristics, importance and types of hypothesis.

अथवा

परिकल्पना का अर्थ लिखिए तथा इसकी विशेषताएँ, उद्देश्य तथा प्रकार

बतलाइए।

Write the meaning of Hypothesis and describe its characteristics, objectives and types of its.

परिकल्पना का अर्थ

उत्तर

(Meaning of Hypothesis)

शोध का उद्देश्य वर्तमान सिद्धान्त या अनुमान की पुष्टि करना या नये सिद्धान्त की खोज करना आदि हैं। इनके लिए किसी मान्यता को लेकर कार्य किया जाता है। प्रारम्भिक ज्ञान एवं अनुभव के आधार पर अध्ययन विषय के विभिन्न पक्षों के सम्बन्ध में एक सामान्य अनुमान (या मान्यता) पहले से ही लगाया जाता (लगाई जाती ) है । इस मान्यता को प्राय: परिकल्पना या प्राक्कलना (Hypothesis) कहा जाता है ।

परिकल्पना की परिभाषाएँ (Definitions of Hypothesis )

(1) शोधकर्ता अपनी अध्ययन समस्या के प्राथमिक ज्ञान के आधार पर एक ऐसा सामान्य निष्कर्ष बनाता है, जो उसके शोध का आधार बनता है। इस सामान्य अनुमान को प्रायः परिकल्पना का प्राक्कल्पना कहा जाता है । परिकल्पना एक सामयिक सामान्यीकरण है, जिसकी प्रामाणिकता की परीक्षा की जाती है। परिकल्पना का पुष्टिकरण वास्तविक तथ्यों ।


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के आधार पर किया जाता है। परिकल्पना निश्चित, स्पष्ट एवं शोध समस्या के अनुरूप होनी चाहिए।

( 2 ) गुड़े तथा हाट (Goode and Hatt) के अनुसार, “परिकल्पना एक ऐसी मान्यता होती है, जिसकी सत्यता सिद्ध करने के लिए उसका परीक्षण किया जाता है।” (3) पी. वी. यंग (P.V. Young) के अनुसार, “एक कार्यवाहक विचार जो उपयोगी खोज का आधार बनता है, कार्यवाहक परिकल्पना माना जाता है।”

(4) एम. एच. गोपाल (M.H. Gopal) के अनुसार, “यह (परिकल्पना) ज्ञात व प्राप्त तथ्यों के सामान्य अवलोकन पर आधारित एक कार्यकारी अस्थायी उपचार अथवा हल होती है, जो कि कुछ विशेष घटनाओं को समझने व अन्य खोज में मार्गदर्शन के लिए अपनायी जाती है।”

(5) जॉर्ज कैसवेल (George Caswell) के अनुसार, “परिकल्पना अध्ययनविषय से सम्बन्धित वह काल्पनिक एवं अस्थायी निष्कर्ष है जिसकी सत्यता को केवल वास्तविक तथ्य ही प्रकट कर सकते हैं । “

परिकल्पना की विशेषताएँ (Characteristics of Hypothesis)

परिकल्पना की कुछ विशेषताएँ निम्न प्रकार हैं

(1) परिकल्पना में स्पष्टता (clarity) होनी चाहिए ।

(2) परिकल्पना में आदर्शात्मक निर्णय (value judgement) का पुट नहीं होना चाहिए ।

(3) परिकल्पना में विशिष्टता (specificity) का गुण होना चाहिए । (4) परिकल्पना उपलब्ध प्रविधियों (available techniques) से सम्बद्ध होनी चाहिए ।

(5) परिकल्पना सम्बद्ध क्षेत्र में किसी पूर्व स्थापित सिद्धान्त के क्रम में होती है। परिकल्पना का महत्व / उद्देश्य (Importance/Objective of Hypothesis)

(1) उचित दिशा प्रदान करना (Providing Suitable Directions) – परिकल्पना शोधकर्त्ता के कार्य को दिशा प्रदान करती है ।

– (2) अध्ययन क्षेत्र को सीमित करना (Restricting the field of study)परिकल्पना शोध-क्षेत्र को सीमित करती है । इसकी सहायता से शोधकर्ता इधर-उघर भटकने से बच जाता है ।

(3) तथ्यों के संकलन में सहायक (Helpful in Collection of Data ) – परिकल्पना शोधकर्त्ता को यह बताती है कि क्या ग्रहण करना है और क्या छोड़ देना ह ? इससे शोध का कार्य क्षेत्र निर्धारित होता है। परिकल्पना ऐसे तथ्यों को एकत्रित करने पर रोक लगाती है जो शोध कार्य की दृष्टि से आवश्यक नहीं हैं ।

(4) सिद्धान्तों के निर्माण में सहायक (Helpful in Formulation of Theories ) – परिकल्पना तथ्यों व सिद्धान्तों के बीच की कड़ी है । एम.एच. गोपाल (M.H. Gopal) के शब्दों में, “एक सिद्धान्त तथा एक परिकल्पना के बीच का अन्तर, प्रकार की अपेक्षा मात्रा का अधिक है, क्योंकि जब परिकल्पना सत्य सिद्ध हो जाती है तथा स्थापित हो जाती है, तो वह एक सिद्धान्त का भाग बन जाती है। इस प्रकार से ये एक-दूसरे से विकसित होते हैं ।”


परिकल्पना / 203

परिकल्पना के प्रकार

(Types of Hypothesis)

गुडे तथा हाट ने निम्नांकित तीन प्रकार की परिकल्पनाओं का उल्लेख किया है(1) अनुभवात्मक समानताओं से सम्बन्धित ( Related to Empirical Uniformities) – ये परिकल्पनाएँ मानव के सामान्य ज्ञान, तर्क वाक्य, दैनिक जीवन के अनुभवों, मान्यताओं लोकोक्तियों, कहावतों, वक्तव्यों, वार्ताओं तथा विश्वासों पर आधारित होती हैं। उदाहरण के लिए सामान्यतः ऐसी कहावतें प्रचलित हैं कि गंजा व्यक्ति धनवान होता है, पशुओं में सियार, पक्षियों में कौआ, मनुष्यों में नाई तथा स्त्रियों में मालिन चतुर होते हैं। ऐसी परिकल्पनाओं में समान तथ्यों की जाँच करना ही अध्ययन का मुख्य बिन्दु होता है ।

– (2) जटिल आदर्श-प्रारूपों से सम्बन्धित (Concerned with Complex Ideal Types) — इस प्रकार की परिकल्पनाओं में प्राय: एक सामान्य तथ्य अथवा निष्कर्ष को पूर्वाधार मानकर अन्य तथ्यों की तर्कपूर्ण रूप से परीक्षा की जाती है। ऐसी परिकल्पनाएँ अल्पसंख्यक समूहों तथा परिस्थिति की दशाओं (ecological conditions) से सम्बन्धित होती हैं। उदाहरण के लिए, बर्गेस ने अपने अध्ययन में यह परिकल्पना की थी कि “केन्द्रीभूत गोलाकार नगर विकास की प्रकृति के लक्षण होते हैं ।” इस प्रकार की परिकल्पनाओं का उद्देश्य आनुभविक एकरूपताओं में तार्किक रूप से निकाले गये सम्बन्धों की उपस्थिति का परीक्षण करना होता है।

(3) विश्लेषणात्मक चरों से सम्बन्धित (Related to Anlytical Variables)— कुछ परिकल्पनाएँ विश्लेषणात्मक चरों के सम्बन्ध से सम्बन्धित होती हैं। कोई भी सामाजिक घटना अनेक कारकों का परिणाम होती है, फिर भी इनमें से कोई एक कारक ही प्रमुख कारक होता है और अन्य कारक सहायक कारक होते हैं। उदाहरण के लिए, बाल अपराध के लिए मनोविश्लेषणवादी सिद्धान्तकार मानसिक विकृति और दुर्बलता को, तो वंशानुक्रमणवादी ‘बुरे वंशानुक्रम’ को उत्तरदायी मानते हैं। इस प्रकार की परिकल्पना को कारणात्मक परिकल्पना (Causal Hypothesis) भी कहते हैं। इसमें यह ज्ञात किया जाता है कि यदि किसी एक चर (कारक) में परिवर्तन होता है तो वह किस सीमा तक दूसरे चर (कारक) को प्रभावित करता है ।

प्रश्न 178. परिकल्पना के प्रमुख स्रोत बतलाइए।

Describe main sources of Hypothesis.

उत्तर- परिकल्पना के प्रमुख स्रोत निम्नलिखित है

(1) सामान्य संस्कृति (General Culture ) – प्रत्येक समाज की एक संस्कृति होती है, उसके सदस्यों की रहन-सहन, खान-पान और वस्त्र की एक शैली होती है, परिवार, विवाह, नातेदारी और सामाजिक संस्थाओं तथा आचरण के नियमों में एकरूपता पायी जाती हैं जोकि उनकी एक सामान्य संस्कृति का निर्माण करती है। यह सामान्य संस्कृति भी परिकल्पना के विकास में सहायक होती है। सामान्य संस्कृति के अन्तर्गत तीन बातें प्रमुख हैं- सांस्कृतिक पृष्ठभूमि, लोक विश्वास तथा सामाजिक परिवर्तन

(i) सांस्कृतिक पृष्ठभूमि ( Cultural Background) – सांस्कृतिक पृष्ठभूमि भी विज्ञान के विकास और परिकल्पनाओं के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। एक


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देश की सांस्कृतिक पृष्ठभूमि इस प्रकार के वातावरण को जन्म देती है जो विज्ञान के उद और विकास को प्रोत्साहित या हतोत्साहित करता है। आधुनिक पौतिक विज्ञान का विकास और स्वयं समाजशास्त्र का विकास परिचमी देशों और अमरीका में ही क्यों आपक हुआ, अन्य देशों में क्यों नहीं, इसका कारण भी इन देशों की संस्कृतिक और स मूल्य है। अमरीका और भारत की सांस्कृतिक पृष्ठभूमि में पिता होने के कारण दोनों में निर्मित पर चिनि प्रकार की होती है।

सामान को, (11) लोक-विश्वास (Folk Belists)- प्रत्येक संस्कृति में कुछ मान्यताएँ एवं विश्वास पा जाते हैं जिनकी अमित कहावतों सूक्तियों, आदि के द्वारा होती है। चूँकि इतका प्रचलन समाज में एक लाने समय से ह है, अतः कई लोग इन्हें सहन रूप से स्वीकार कर लेते है। किन्तु ये कहने और विश्वास वास्तव में कहाँ तक सत्य है, यह जानने के लिए अनुसन्धानकली इनमें से किसी की भी परिकल्पना मानकर अध्ययन कर सकता है।

(iii) सामाजिक परिवर्तन (Brocial Changes)-कोई भी समाज और संस्कृति रिया नहीं है। समय के साथ इसमें परिवर्तन होना स्वाभाविक है। यह परिवर्तन नई नई परिकल्पनाओं को भी जन्म देता है। उदाहरण के लिए, भारतीय समाज में होने वाले परिवर्तनों के सन्दर्भ में कुछ परिकल्पनाएँ इस प्रकार हो सकती है भारत में ज्यों-ज्यों औद्योतकरण एवं नगरीकरण बढ़ता जायेगा, संयुक्त परिवार टूटेंगे तथा जाति प्रथा का विघटन होगा।

(2) वैज्ञानिक सिद्धान (Scientific Theories)-कई परिकल्पनाओं का आधार समाज में पूर्व प्रचलित वैज्ञानिक सिद्धान्त होते हैं। अनुसन्धानकर्ता इन सिद्धान्तों पर ही कई अन्य सामान्यीकरण करते हैं और ये सामान्यीकरण ही परिकल्पनाओं के रूप में ग्रहण का लिए जाते हैं।

(3) सादृश्यताएँ (Analogies)-कई बार समरूपताएँ भी परिकल्पनाओं को जन्म देती है। हरबर्ट स्पेन्सर ने सामाजिक सावयव (Social organism) की कल्पना जीवा की शरीर रचना से ही ग्रहण की थी। वे समाज की थी एक शरीर की ही भांति मानते हैं। जूलियन हरकले का मत है कि किसी विज्ञान की प्रकृति के सम्बन्ध में किए गए, अवलोकन, परिकल्पनाओं के आधार हो सकते हैं।

(4) व्यक्तिगत अनुभव (Personal Experiences)-कई परिकल्पनाएँ, व्यक्तिगत अनुभवों का भी परिणाम होती हैं। न्यूटन की पृथ्वी की गुरुत्वाकर्षण शक्ति की परिकल्पना, डार्विन की अस्तित्व के लिए संघर्ष की परिकल्पना तथा माल्यम की जनसंख्या वृद्धि की परिकल्पना आदि उनके व्यक्तिगत अनुभव का ही परिणाम है।

(5) अन्तःप्रज्ञा (Intuition)- उनके परिकल्पनाओं का आधार मानव की अन्त:दृष्टि अथवा अन्तरात्मा की आवाज होती है। जीवन की अनेक घटनाओं के प्रति हमारे निष्कर्ष अन्त:दृष्टि पर ही आधारित होते हैं। कई बार हम लोगों को यह कहते हुए सुनते हैं- “मेरा मन ऐसा कहता है”, यही उसकी अन्तःप्रज्ञा कही जा सकती है। अन्तःप्रज्ञा पर आधारित परिकल्पनाओं का कई बार परीक्षण करना बहुत कठिन होता है।

(6) अनुसन्धान एवं साहित्य (Research and Literature) – कई बार हम अन्य व्यक्तियों द्वारा किए गए अध्ययनों के निष्कर्षों एवं साहित्य के आधार पर ही


परिकल्पना / 205

परिकल्पना का निर्माण करते हैं। लुण्डवई की माता है कि हम कविता साहित्य दर्शन समाजशास्त्र, उजाति विज्ञान एवं वर्णनात्मक साहित्य तया बताकरी और विन्ती के मानव के सामाजिक सम्बन्धों पर आधारित साली के आधार पर की परिकल्पनाओं का

लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न परिकल्पना की परिभाषा दीजिए।

Give the definition of Hypothesis.

बिना किसी “परिकल्पना का विचार, दशा या सिद्धान्त होती है जो कि विश्वास के मान ली जाती है, जिससे कि तार्दिक परिणाम निकाले जा सके और जान या निर्धारित किये जाने वाले तथ्यों की सहायता से इस विचार की सत्ता की जांच की जा संव।”

प्रश्न 180, परिकल्पना के निर्माण में प्रमुख कटिनाइयाँ अनलाइए। प्रश्न 1960

Describe main difficulties in the formulation of Hypothesis.

परिकल्पना के निर्माण की प्रमुख कठिनाइयाँ

(Main Difficulties in the Formulation of Hypothesis)

(1) अध्ययन विषय के अन्तर्गत घटनाएँ एवं समस्याएँ भी बहुत उलझी हुई और बहुभाषी होती है। उनके सम्बन्ध में अनुमान लगाना अर्थात् परिकल्पना बनाना कटिन होना है।

(2) प्रचलित सिद्धान्त या पूर्व-ज्ञान वर्तमान अध्ययन कार्य के लिए कितना व्यावहारिक है, इसका अनुमान पहले से नहीं लग पाता ।

(3) शोधकर्ता का पूर्व आदेश, पक्षपात या उचित-अनुचित की भावना से प्रेरित होने पर उचित परिकल्पना का निर्माण कठिन हो जाता है।

(4) यदि शोधकर्ता के दिल में एक दुर्बल कोना (soft corner) हो, तो वह अच्छाई परिकल्पना का निर्माण नहीं कर पाता ।

(5) कभी-कभी शोधकर्त्ता वास्तविक तथ्यां के अनुसार परिकल्पना को न बदलकर परिकल्पना के अनुरूप तथ्यों को विकृत कर देते हैं।

प्रश्न 1181. परिकल्पना की विशेषताएँ लिखिए। 11

Write the characteristics of Hypothesis. परिकल्पना की विशेषताएँ

उत्तर

1. परिकल्पना में स्पष्टता होनी चाहिए ।

2. आदर्शात्मक निर्णय का पुट नहीं होना चाहिए ।

3. विशिष्टता होना चाहिए ।

4 उपलब्ध प्रविधियों से सम्बद्ध होनी चाहिए ।

5. परिकल्पना सम्बद्ध क्षेत्र में किसी पूर्व स्थापित के क्रम में होती है ।


206 / यशराज : सांख्यिकी ( बी. ए. तृतीय वर्ष )

सही विकल्प चुनकर लिखिए1. 2. वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Objective Type Questions) “परिकल्पना एक ऐसी मान्यता होती है, जिसकी सत्यता सिद्ध करने के लिए उसका परीक्षण किया जाता है। ” (अ) पी. वी. यंग का (स) एम. एच. गोपाल का गुडे तथा हाट के अनुसार परिकल्पना (अ) 2 (ब) 3 उत्तर- 1. (ब), 2. (ब) । 17 (ब) गुडे तथा हाट का (द) जॉर्ज कैसवाल का के प्रकार हैं(स) 4 (द) 5

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